Friday 21 June 2019

ख्वाब अधूरे !


ख्वाब अधूरे !

सुनो आओ
कुछ देर मेरे पास बैठो,
मैं लौटा दूंगी तुम्हें तुम्हारा 
खोया हुआ विश्वास
कुछ देर बैठो
मेरे हाथों को थाम कर
मैं लौटा दूंगी तुम्हे
जीने का एहसास
कुछ देर देखो
तुम मेरी आँखों में
मैं लौटा दूंगी
तुम्हारी आँखों के ख्वाब
कुछ देर सुन लो
तुम इन धड़कनो की आवाज़
तुम्हे मिल जायँगे तुम्हारे सारे 
सवालो के जवाब
सुनो यही सब तो  कहा था 
तुमने मुझे मेरा हाथ पकड़ने 
के पहले  
पर मैं तो बैठा हु
तुम्हारे हांथो को थामे
पिछले कई सालो से
देखते हुए तुम्हारी ही
आँखों में जंहा रखे थे
मैंने अपने ख्वाब जो
अब तक है अधूरे ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !