वो आकर मेरे दर पर आवाज़ देती है
और चली जाती है ,
और चली जाती है ,
फिर तेरी याद भी आती है
और आकर चली जाती है ;
और आकर चली जाती है ;
मेरी आँखों से आँखे मिलते ही
उसकी ऑंखें नम हो जाती है ,
उसकी ऑंखें नम हो जाती है ,
फिर वो मुझसे अपनी नज़रों को चुराती है
और चली जाती है ;
और चली जाती है ;
ज़िन्दगी की भाग दौड़
मेरे बने बनाये बाल बिगाड़ती है ,
मेरे बने बनाये बाल बिगाड़ती है ,
फिर वो मेरे बाल बनाती है
और चुपचाप चली जाती है ;
और चुपचाप चली जाती है ;
मुझे चिढ़ाने के खातिर
चाँद के साथ अठखेलियाँ करती है ,
चाँद के साथ अठखेलियाँ करती है ,
और चांदनी मेरा दर्द बढाती है
और फिर चली जाती है ;
और फिर चली जाती है ;
ये मोहब्बत भी कितनी
अजीब चीज़ है " प्रखर " ,
अजीब चीज़ है " प्रखर " ,
मेरी शाम के चंद लम्हों को सजाती है
और चली जाती है !
और चली जाती है !
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