ख्वाहिशें !
बारिश की इन
बूंदों के साथ हम
और तुम खेले है
इन बूंदों के लिये ही
मिले और बिछड़े है
तुम्हारी जिद्द इन
बूंदों को पकड़ लेने की
मेरी जिद इन बूंदों में
साथ तुम्हारे भीग जाने की
ख्वाहिशें चाहे हमारी अलग हो
बारिश की बूंदों के साथ
खेलने की चाह एक थी
ठीक वैसे ही जैसे
तुम मेरे पास आना
चाहती हो पर किसी का
दिल दुखाये बगैर और
मैंने ठान रखा है नहीं
जीना तेरे बगैर चाहे
ख़ुदा को करना पड़े
मुझे नाराज़ !
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