Sunday, 16 June 2019

पिता




तेरी आहट जो जाने 
वो है तेरे पिता ;
मेरी पदचाप जो पहचाने
वो है मेरे पिता ;
तेरे दिल में है क्या-क्या
वो जाने तेरे पिता ;
मेरी जुबां पर नहीं है क्या-क्या
वो जाने मेरे पिता ;
तेरे चेहरे के भाव जो पढ़ ले
वो है तेरे पिता ;
मेरे मन का लिखा जो पढ़ ले
वो है मेरे पिता ;
तेरे हर दर्द को जो हर ले
वो है तेरे पिता ;
मेरे हर जख्म को जो भर दे 
वो है मेरे पिता ;
तुझे देखकर जो है जीते 
वो है तेरे पिता ;
मुझे देखकर जो है जिन्दा
वो है मेरे पिता ;
तुझमे देखे जो अपना जंहा
वो है तेरे पिता ;
मुझमे देखे जो सारा जंहा
वो है मेरे पिता ;
तू जो मांगे वो ला कर दे  
वो है तेरे पिता 
मैं जो ना मांगू वो भी ला कर दे 
वो है मेरे पिता ;
तेरे सुख दुःख दोनों के जो साथी है
वो है तेरे पिता ;
मेरे होने का साक्षात प्रमाण है 
वो है मेरे पिता !  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !