तेरी आहट जो जाने
वो है तेरे पिता ;
मेरी पदचाप जो पहचाने
वो है मेरे पिता ;
तेरे दिल में है क्या-क्या
वो जाने तेरे पिता ;
मेरी जुबां पर नहीं है क्या-क्या
वो जाने मेरे पिता ;
तेरे चेहरे के भाव जो पढ़ ले
वो है तेरे पिता ;
मेरे मन का लिखा जो पढ़ ले
वो है मेरे पिता ;
तेरे हर दर्द को जो हर ले
वो है तेरे पिता ;
मेरे हर जख्म को जो भर दे
वो है मेरे पिता ;
तुझे देखकर जो है जीते
वो है तेरे पिता ;
मुझे देखकर जो है जिन्दा
वो है मेरे पिता ;
तुझमे देखे जो अपना जंहा
वो है तेरे पिता ;
मुझमे देखे जो सारा जंहा
वो है मेरे पिता ;
तू जो मांगे वो ला कर दे
वो है तेरे पिता
मैं जो ना मांगू वो भी ला कर दे
वो है मेरे पिता ;
तेरे सुख दुःख दोनों के जो साथी है
वो है तेरे पिता ;
मेरे होने का साक्षात प्रमाण है
वो है मेरे पिता !
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