Saturday, 29 June 2019

इश्क़ की ख़्वाहिशें !


इश्क़ की ख़्वाहिशें !

वो इश्क़ ही है 
जो अक्सर मुझ से 
हंसी ठिठोली करता है 
खुश रहा करो तुम 
मुझ से अक्सर ही 
वो कहता रहता है 
और कभी-कभी वो 
दिल दुखाने के लिए  
उल्टी-सीधी हरकतें
भी वो कर ही देता है 
वो कुछ अजब सा है 
अपने इश्क़ में वो 
शिद्द्तें भी भरता है 
वो मेरे दामन में 
आग भी लगाता है 
फिर खुद ही उसे 
बुझाने के खातिर 
बारिश भी करता है 
दिल में मेरे वो साथ 
जीने और मरने की 
ख़्वाहिशें भी जगाए 
रहता है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !