राही जीवन पथ का !
जब तक चलेगी ज़िन्दगी की साँसें ,
कहीं प्यार तो कहीं तकरार मिलेगा ;
कहीं बनेंगे सम्बन्ध अंतर्मन से तो ,
कहीं आत्मीयता का आभाव मिलेगा !
कहीं मिलेगी ज़िन्दगी में प्रशंसा तो ,
कहीं नाराजगियों का पहाड़ मिलेगा ;
कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो ,
कहीं भावनाओं में भी दुर्भाव मिलेगा !
कहीं बनेंगे पराये रिश्ते भी अपने तो ,
कहीं अपनों में ही खिंचाव मिलेगा ;
कहीं होगी ख़ुशामदें चेहरे पर तो ,
कही पीठ पर छुरे का घाव मिलेगा !
तू चलता रह राही जीवन पथ पर ,
जैसा भाव वैसा तुझे प्रभाव मिलेगा ;
रख स्वभाव में शुद्धता का स्पर्श तू ,
अवश्य मनचाहा तुझे पड़ाव मिलेगा !
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