बारिश की बुँदे !
बारिश की ये रिमझिम
बुँदे मुझे तुम्हारे स्पर्श,
का एहसास दिलाती है !
वो कभी तुम्हारी ही
तरह मेरी इन पलकों,
पर ठहर जाती है !
तो कभी रूककर मेरे
होंठों पर बिलकुल
तुम्हारी ही तरह,
मुस्कराती है !
तुम छायी रहती हो
मेरे अस्तित्व के आकाश,
पर कुछ इस तरह !
कि मुझे हर शय में,
सिर्फ और सिर्फ एक
तुम नजर आती हो !
No comments:
Post a Comment