तुम्हारा जन्मदिन !
तोहफ़े में तुमको क्या दूँ ,
उलझन सी हो रही है ;
फूलों का दूँ गुलदस्तां लेकिन ,
तुमसे ख़ूबसूरत कहाँ है वो ;
तोहफ़े में कुछ सांसें दूँ तुम्हे ,
बिन तेरी खुशबू के कुछ नहीं है वो ;
या अपनी ज़िंदगी दे दूँ तुम्हे ,
जो मंसूब है सिर्फ एक तुम से वो ;
अपनी ये दोनों ऑंखें दे दूँ तुम्हे ,
जो मुंतज़िर है एक बस तुम्हारी वो ;
अपना दिल एक और बार दे दूँ तुम्हे ,
लेकिन धड़कता तो है तुम्हारे नाम से ही वो ;
कुछ ग़ज़में कुछ नज़्में लिख कर दूँ तुम्हे ,
लेकिन इनमे लफ्ज़ तेरे ही नाम के तो होते है वो ;
फिर तुम ही बताओ ऐसा क्या दूँ मैं तुम्हे ,
कुछ भी तो नहीं ऐसा पास मेरे जिनमे न हो तुम ;
सोचता हूँ तुम्हे दे देता हूँ आज अपना मैं ,
जिसे आज तुम कर ही लोगी अब अपना हम !
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