Friday, 14 June 2019

तुम्हारा जन्मदिन !


तुम्हारा जन्मदिन !

तोहफ़े में तुमको क्या दूँ ,
उलझन सी हो रही है ;

फूलों का दूँ गुलदस्तां लेकिन , 
तुमसे ख़ूबसूरत कहाँ है वो ;

तोहफ़े में कुछ सांसें दूँ तुम्हे ,
बिन तेरी खुशबू के कुछ नहीं है वो ; 

या अपनी ज़िंदगी दे दूँ तुम्हे , 
जो मंसूब है सिर्फ एक तुम से वो ; 

अपनी ये दोनों ऑंखें दे दूँ तुम्हे ,
जो मुंतज़िर है एक बस तुम्हारी वो ;

अपना दिल एक और बार दे दूँ तुम्हे , 
लेकिन धड़कता तो है तुम्हारे नाम से ही वो ;

कुछ ग़ज़में कुछ नज़्में लिख कर दूँ तुम्हे ,
लेकिन इनमे लफ्ज़ तेरे ही नाम के तो होते है वो ;  

फिर तुम ही बताओ ऐसा क्या दूँ मैं तुम्हे ,
कुछ भी तो नहीं ऐसा पास मेरे जिनमे न हो तुम ;   

सोचता हूँ तुम्हे दे देता हूँ आज अपना मैं ,
जिसे आज तुम कर ही लोगी अब अपना हम !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !