Saturday, 15 June 2019

एक शख़्स !


मेरे होने की वजह है वो एक शख़्स ,
पर मुझ से खफा है वो एक शख़्स ; 

एक उम्र से मुझसे दूर है वो लेकिन , 
फिर भी इस दिल में रहता है वो एक शख़्स ;

उसके बिना मैं जिन्दा ही नहीं होती ,
मेरे जीने की आस है वो एक शख़्स ; 

उस के बिना मैं तो मैं नहीं रहती ,
क्या मेरे इस जिस्म का दिल है वो एक शख़्स ;

मेरे दिल की ख़्वाहिशें एक सिर्फ वो जानता है , 
किस क़दर मुझसे परिचित है वो एक शख़्स ;

उस से मेरा उतना ही मेल मुमकिन है , 
इस क़दर इस रूह की लिबास है वो एक शख़्स !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !