Wednesday, 8 May 2019

खामोश मोहोब्बत !

खामोश मोहोब्बत !

एहसास, 
जज़्बात, 
अपनापन, 
और एक दूजे, 
को तबज्जों देने, 
की बेहतरीन कोशिश, 
और अपने राजदार पर, 
ठीक खुदा के जैसा भरोषा,
तब जा कर एक खामोश, 
मोहब्बत सीने में पल कर, 
नव यौवना हो पाती है, 
और ज़िन्दगी के तौर, 
तरीके सिखाती है, 
जीने का हौंसला, 
देती है तब जा कर, 
वो खामोश मोहोब्बत, 
लफ़्ज़ों में बयां हो पाती है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !