Monday 13 May 2019

प्यार रूठा है !


यहाँ हर तरह  
बनावटी चेहरे हैं 

हाल-ए-दिल अपना  
मैं किसे बताऊ 

जो ख्वाब-ए-मुसलसल 
अरमान मेरा है 

वही ख्वाब टुटा है 
वही प्यार रूठा है 

जब से खफा है
नज़र ने रंग अपने 
सारे खो दिए है 

किसे और क्या बताऊ 
जुबां चुप है मगर सर से 
पाँव तक जाहिर हु मैं

ये दिल की लगी है 
किसे और क्या बताऊ मैं 
किसे और क्या दिखाऊ मैं !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !