Saturday 18 May 2019

तुम अगर सुनो !


तुम अगर सुनो, 
तो मैं खुद को तुम्हारी आन 
लिख सकता हूँ !
तुम अगर सुनो, 
तो मैं तुम्हारे जायके की जुबां 
लिख सकता हूँ !
तुम अगर सुनो, 
तो मैं फूलों को अपने लफ़्ज़ों में 
लिख सकता हूँ !
तुम अगर सुनो, 
तो मैं उस सहरा को भी मकां 
लिख सकता हूँ !
तुम अगर सुनो, 
तो मैं उस अनजान को भी अपनी 
जान लिख सकता हूँ !
  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !