Monday, 6 May 2019

ये भी जरुरी नहीं !

ये भी जरुरी नहीं !

बस पल दो पल की बात है, 
फिर क्यों उदास होते हो तुम;
बे-सबब क्यों परेशां होते हो तुम; 

बोलो तुम्हे किस बात का गम है,
क्यों ऐसे उदास रहते हो तुम; 

देखो इन नज़ारों को मस्त झरनों को, 
नदियों और पहाड़ों को सूरज चाँद और सितारों को; 

गलियों को रौनक भरे बाज़ारों को, 
शायद तुम अब बहल जा ओ; 

सोचो जब आये थे तुम, 
इस तरह रो रहे थे तुम; 

जैसे किसी ने तुम्हारे हाथों से, 
सुन्दर खिलौना छीन लिया हो; 

फिर जो कुछ पाया यहीं से पाया, 
जो कुछ दिया यहीं पर तो दिया; 

बस पल दो पल की बात है, 
फिर क्यों उदास होते हो तुम; 
बे-सबब क्यों परेशां होते हो तुम !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !