Friday, 24 May 2019

तू आ जा !


तू आ जा !

किस बहाने कहूँ तुझे 
की मेरे पास अब तो तू आ जा
थम ना जाये कहीं 
ये जुनूं की अब तो तू आ जा 
बन कर तू इस दिल का 
सकूँ ही अब तो तू आ जा
हो चली हूँ मैं अब तो नीली 
नीली की अब तो तू आ जा
किस से करूँ मैं बात तेरी 
की अब तो तू आ जा
कब से विरान है दिल मेरा 
की अब तो तू आ जा
अजिय्यत में अपनी ही 
ऑंखें मैं ही ना नोच लूँ 
की अब तो तू आ जा 
कब से तुझे बुला रही हूँ 
की अब तो तू आ जा
कल को ये भी ना कर पाऊं 
उस के पहले की अब तो तू आ जा

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !