सुनो..
जिस की हंसी से ही,
मेरे ह्रदय की बंज़र
जमीन पर भी, तरह
तरह के फूल खिलते है;
सुनो..
जिन के नग्मों की,
इतनी पहुँच है की,
पंछी उन की लय
पर चहचहाते हैं;
सुनो..
उस को तो इस तरह,
चुप-चाप हो जाना,
बिलकुल नहीं सजता है;
सुनो..
तुम बस इतना ही करो,
की एक बार बस हँस दो,
ताकि मेरी जमी हुई साँसों
में फिर से, ज़िंदगी जी उठे;
सुनो..
क्योंकि तुम्हारी हंसी से ही,
मेरे ह्रदय की बंज़र जमीन,
पर भी तरह तरह के फूल
खिलते है !
जिस की हंसी से ही,
मेरे ह्रदय की बंज़र
जमीन पर भी, तरह
तरह के फूल खिलते है;
सुनो..
जिन के नग्मों की,
इतनी पहुँच है की,
पंछी उन की लय
पर चहचहाते हैं;
सुनो..
उस को तो इस तरह,
चुप-चाप हो जाना,
बिलकुल नहीं सजता है;
सुनो..
तुम बस इतना ही करो,
की एक बार बस हँस दो,
ताकि मेरी जमी हुई साँसों
में फिर से, ज़िंदगी जी उठे;
सुनो..
क्योंकि तुम्हारी हंसी से ही,
मेरे ह्रदय की बंज़र जमीन,
पर भी तरह तरह के फूल
खिलते है !
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