सुन,
तू आ और आकर
मेरे दिल की वीरान
बस्ती में अपने प्यार की हलचल कर दे;
सुन,
मेरे ख्वाबों के हरे भरे
गुलिस्तां में तू आ और
आकर उसे चाहे जंगल कर दे;
सुन,
तू आ और आकर
मेरे होश उड़ा या चाहे
तो मुझे पागल ही कर दे;
सुन,
मैं अधूरी हूँ अभी
तू आ और आकर
मुझे मुकम्मल कर दे;
सुन,
तू आ और आकर
वादी-ए-मोहब्बत की हर एक
राह को अब तू जल -थल कर दे;
सुन,
तू आ और आकर
सर पर मेरे अपने प्यार
का वो आसमान कर दे !
तू आ और आकर
मेरे दिल की वीरान
बस्ती में अपने प्यार की हलचल कर दे;
सुन,
मेरे ख्वाबों के हरे भरे
गुलिस्तां में तू आ और
आकर उसे चाहे जंगल कर दे;
सुन,
तू आ और आकर
मेरे होश उड़ा या चाहे
तो मुझे पागल ही कर दे;
सुन,
मैं अधूरी हूँ अभी
तू आ और आकर
मुझे मुकम्मल कर दे;
सुन,
तू आ और आकर
वादी-ए-मोहब्बत की हर एक
राह को अब तू जल -थल कर दे;
सुन,
तू आ और आकर
सर पर मेरे अपने प्यार
का वो आसमान कर दे !
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