बहकी हुई नज़र थी लेकिन फिर भी उदास थी ,
मय तो दूर थी उस से मगर मैं तो उसके पास थी ;
बे-शक उसने बुलाया जिसे वो रूठी हुई एक रूह थी ,
मगर शिकस्त-ए-दिल में मेरे ज़िंदा मगर एक आस थी ;
गर तू मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छाया हुआ न था ,
तो वो हस्ती कौन थी जो मेरे दिल में समायी थी ;
अक्सर बारिशों में पेड़ों के पत्ते तो धुल ही जाते है ,
मगर धरती कोख़ में अभी भी हरियाणे की प्यास थी ;
कोंपलें जब भी आँख खोलती है तो क्या देखती है ,
उनकी हद्द-ए-नज़र तलक उनकी ये ज़मीं बे-लिबास थी ;
दिल में एक ताज़ा खिला हुआ गुलाब था ,
मगर आँखों में सारी तमन्नाएँ उदास थी ;
इन दिनों मैं अक्सर यही सोचती रहती हूँ ,
वो कौन था जिस के लिए मेरे दिल में प्यास थी !
No comments:
Post a Comment