कवितायेँ सब समेटती है !
कवितायेँ समेटती है,
हमारे प्यार व तकरार दोनों के पल भी;
कवितायेँ समेटती है,
हमारे मिलन की ख़ुशी व जुदाई का दर्द भी;
कवितायेँ समेटती है,
मोहब्ब्त के रंग और अभिव्यक्ति के ढंग भी;
कवितायेँ साथ साथ समेटती है,
एक दूजे के द्वारा की गयी मनुहार व इकरार भी;
कवितायेँ समेटती है,
कभी करार तो कभी इन्कार भी;
कवितायेँ समेटती है,
कभी तकरार तो कभी अंगीकार के पल भी;
कवितायेँ समेटती है,
दिल-ए-बयान भी जिसमे कभी वो रंग है बदलती भी;
कवितायेँ कभी रचती है,
स्वांग तो कभी ख्वाब भी बुनती है;
कवितायेँ कभी समेटती है,
किरचें भी इसलिए कविताओं का हर सफहा होता है;
हमारे दिल का आईना भी !
No comments:
Post a Comment