Friday, 3 May 2019

कवितायेँ सब समेटती है !

कवितायेँ सब समेटती है !
कवितायेँ समेटती है, 
हमारे प्यार व तकरार दोनों के पल भी; 
कवितायेँ समेटती है, 
हमारे मिलन की ख़ुशी व जुदाई का दर्द भी; 
कवितायेँ समेटती है, 
मोहब्ब्त के रंग और अभिव्यक्ति के ढंग भी; 
कवितायेँ साथ साथ समेटती है, 
एक दूजे के द्वारा की गयी मनुहार व इकरार भी; 
कवितायेँ समेटती है, 
कभी करार तो कभी इन्कार भी; 
कवितायेँ समेटती है,
कभी तकरार तो कभी अंगीकार के पल भी; 
कवितायेँ समेटती है, 
दिल-ए-बयान भी जिसमे कभी वो रंग है बदलती भी; 
कवितायेँ कभी रचती है, 
स्वांग तो कभी ख्वाब भी बुनती है; 
कवितायेँ कभी समेटती है,
किरचें भी इसलिए कविताओं का हर सफहा होता है; 
हमारे दिल का आईना भी !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !