रहेगा वही जो अदृश्य है!
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कुछ लफ्ज़ है जो
सने नहीं है मेरे
मेरे ज़ज़्बात की
स्याही में अभी;
कुछ भाव भी है जो
अब तक गर्भ में भी
आये नहीं है अभी;
कुछ सपने है जो
पहुंचे नहीं है मेरी
आँखों में अभी;
कुछ प्रेम कथाएँ
भी है जिनकी नीव
रखी नहीं गयी है अभी;
कुछ रंग भी है जो
फूलों में भी डले
नहीं है अभी;
कुछ किरणें है जो
सूरज की वो नहीं
पहुँचीं धरती पर अभी;
कुछ नाम है जो
दर्ज़ नहीं हुए है
इतिहास में अभी;
पर सुनो ये भी
संभव है की रह
जाए यंहा सिर्फ
वही जो अदृश्य है अभी !
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