मेरे अस्तित्व की कुंजी!
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तुम कुछ इस
तरह हर पल
मेरी नज़रों में
समायी रहती हो;
कि मुझे इस भीड़
भरी दुनिया में भी
एक तुम्हारे सिवा
कोई और दिखाई
ही नहीं देता है;
तभी तो मैं तुम्हारे
उस असीमित अनन्त
और विस्तृत वज़ूद को
अपने ह्रदयाकाश में
समेट लेना चाहता हूँ;
और उस से जुडी हर एक
सम्भावना को स्वयं में
कुछ इस तरह समाहित
कर लेना चाहता हूँ;
कि उसके बाद तुम
तुम्हारा वजूद हर पल
मेरे अस्तित्व में एक
अदृश्य शक्ति की कुंजी
बनकर सदा मौजूद रहो !
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