चीर प्रतीक्षित प्रेम !
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मेरे जीवन की तमाम
अमावस की रात को
अपनी शीतल चांदनी
से जगमगाने ही तो
इस धरती पर आयी
हो तुम;
मेरे असीम विश्वास को
अपने सच्चे समर्पण से
उसे शिव बनाने ही तो
इस धरती पर आयी
हो तुम;
जन्मो की अपनी प्यास
को मेरे असीम प्रेम का
सिन्दूर लगा कर मुझे
अपना "राम" बनाने ही तो
इस धरती पर आयी
हो तुम;
मेरे चीर प्रतीक्षित प्रेम
को अपनी मोहब्बत के
अमरत्व से अमर बनाने ही तो
इस धरती पर आयी
हो तुम;
ओ मेरी प्राणप्रिये
मेरे इश्क़ के बीज को
खुद की धरा में बो कर
उसका विस्तार करने ही तो
इस धरती पर आयी
हो तुम;
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