Friday, 14 December 2018

चीर प्रतीक्षित प्रेम !

चीर प्रतीक्षित प्रेम !
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मेरे जीवन की तमाम 
अमावस की रात को 
अपनी शीतल चांदनी 
से जगमगाने ही तो 
इस धरती पर आयी 
हो तुम;

मेरे असीम विश्वास को 
अपने सच्चे समर्पण से 
उसे शिव बनाने ही तो 
इस धरती पर आयी 
हो तुम;

जन्मो की अपनी प्यास 
को मेरे असीम प्रेम का 
सिन्दूर लगा कर मुझे 
अपना "राम" बनाने ही तो 
इस धरती पर आयी 
हो तुम;

मेरे चीर प्रतीक्षित प्रेम 
को अपनी मोहब्बत के 
अमरत्व से अमर बनाने ही तो 
इस धरती पर आयी 
हो तुम;

ओ मेरी प्राणप्रिये 
मेरे इश्क़ के बीज को 
खुद की धरा में बो कर 
उसका विस्तार करने ही तो  
इस धरती पर आयी 
हो तुम;

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !