प्यास बुझा देना तुम!
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निकला था खुद को
तलाशने लेकिन दब
कर रह गया हु अपनी
ज़िम्मेदारियों के बोझ
तले मैं ;
निकला था हंसी को
तलाशने लेकिन डूब
के रह गया हु आंसुओं
के समंदर में मैं ;
निकला था खोजने को
मरहम लेकिन वक़्त के
खंजर के घाव से लथपथ
पड़ा हु मैं ;
कुछ यु की ये मैं हु या
कोई और खुद को पहचान
ही नहीं पा रहा हु मैं ;
निकला था खुद को
ढूंढने खुद ही आज
कंही खो गया हु मैं;
अब तुम मुझको ढूंढ
लेना और शायद मिलूं
प्यासा तुम्हे तो मेरी
प्यास बुझा देना तुम !
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