Tuesday 18 December 2018

दिन जल्दी में होते है!

दिन जल्दी में होते है! 
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उन पलों में ना 
जाने क्यों ये दिन 
किस जल्दी में होते है 
मेरी लाख मिन्नतों के 
बाद भी कोई पल भी 
एक पल से लम्बा होता 
ही नहीं बस भागा चला 
जाता है मेरे सपनो को 
रौंद कर और बिखेरते 
चला जाता है सूरज की 
लालिमा मेरे उस कमरे 
में मानो सिन्दूर फैला 
हो वंहा और फिर मेरे 
सपनो का प्रवाह तुम्हारे   
जाते ही पहले तो थमता है 
फिर धीरे-धीरे टूटता चला 
जाता है पर उन पलों में ना 
जाने क्यों ये दिन किस  
जल्दी में होते है... 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !