बे-मौसमी बारिश !
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क्या कभी महसूस
किया है तुमने कि
ऊपर से यु कठोर
दिखने वाला पुरुष
भी भीगा करता है
उस धुप भरी दोपहरी
में भी जब कभी तुम
उसे अकेला छोड़ कर
चली जाती हो और
तब होती है बेमौसमी
बारिश वंहा जहा कुछ
पल पहले ही को तुम
ठहरी थी साथ उसके
लेकिन सुनो जिस दिन
तुमने देख लिया उसे
उस धुप भरी दोपहरी
में यूँ अकेले भीगते हुए
उसके बाद फिर कभी
तुम जा नहीं पाओगी
छोड़ कर उसे अकेला यु !
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