Tuesday, 4 December 2018

देह की दहलीज़ !



देह की दहलीज़ !
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ऐसा तो नहीं कह सकता 
मैं... 
की किसी ने भी ना चाहा था 
मुझे...
तुमसे मिलने के पहले तलक 
हां...
इतना जरूर पुरे यकीन से 
कह... 
सकती हु की किसी को भी  
मैंने...
इस देह की दहलीज़ को लांघने 
नहीं...
दिया था और तुमसे अपने 
प्यार...  
का इकरार करने के बाद ना 
जाने...
क्यों खुद को रोक ही नहीं पायी
और...
तुम कब उस दहलीज़ को लाँघ 
अंदर... 
आ गए पता ही नहीं चला मुझे !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !