Thursday, 1 November 2018

मैंने तो सिर्फ प्रेम किया !

मैंने तो सिर्फ प्रेम किया !
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प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 
अपनी आँख और दिमाग 
दोनों बंद कर के;

जबकि कई बार मेरी 
इन्द्रियों होकर सक्रिय 
जताती रही विरोध;

तभी तो करता रहा मैं   
नज़रअंदाज़ विरोध 
अपनी ही इन्द्रियों का;

क्योंकि मैंने तो पढ़ा था 
प्रेम में कभी तार्किक नहीं 
हुआ जाता;

और मैं कभी हुआ भी नहीं 
परन्तु तुमने तो कभी कोई 
बात मेरी मानी ही नहीं;

जब-तक की तुमने उस बात
को आज़माया नहीं क्योंकि
तार्किक हो तुम;

पर क्या तुमने कभी पढ़ा नहीं
या सुना भी नहीं की प्रेम में कभी
किसी तरह के तर्क की कोई जगह 
नहीं होती;

इसलिए मैंने अपने हिस्से का 
प्रेम किया और तुमने अपने 
हिस्से का तर्क;  

प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 
अपनी आँख और दिमाग 
दोनों बंद कर के !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !