Friday, 16 November 2018

मिलन की बेला आने वाली है !

मिलन की बेला आने वाली है !
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दिन गर्म और रातें ठंडी 
होने लगी है लगता है जैसे 
दिन और रात के मिलन
की बेला आने वाली है ; 

दिन गर्म और रातें ठंडी 
होने लगी है तभी तो देखो 
दोनों आतुर दिखने लगे है, 
मिलने एक दूजे को;

दिन गर्म और रातें ठंडी 
होने लगी है तभी तो देखो 
दिन सुलगने लगा है बनकर 
सिन्दूर उमस का रात पर टपकने को;

दिन गर्म और रातें ठंडी 
होने लगी है तभी तो देखो 
ना आसमां खामोश रहने लगा है;
और रात करहाकर ढकने लगी है 
ओस का आँचल अपने तन पर;

दिन गर्म और रातें ठंडी 
होने लगी है लगता है जैसे 
दिन और रात के मिलन की 
बेला आने वाली है;
    
दिन गर्म और रातें ठंडी 
होने लगी है तभी मैं भी
ताकने लग जाता हु तुम्हारी
ओर पूरी की पूरी रात यु ही 
दिन की तरह तुम पर झरने को ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !