मिलन की बेला आने वाली है !
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दिन गर्म और रातें ठंडी
होने लगी है लगता है जैसे
दिन और रात के मिलन
की बेला आने वाली है ;
दिन गर्म और रातें ठंडी
होने लगी है तभी तो देखो
दोनों आतुर दिखने लगे है,
मिलने एक दूजे को;
दिन गर्म और रातें ठंडी
होने लगी है तभी तो देखो
दिन सुलगने लगा है बनकर
सिन्दूर उमस का रात पर टपकने को;
दिन गर्म और रातें ठंडी
होने लगी है तभी तो देखो
ना आसमां खामोश रहने लगा है;
और रात करहाकर ढकने लगी है
ओस का आँचल अपने तन पर;
दिन गर्म और रातें ठंडी
होने लगी है लगता है जैसे
दिन और रात के मिलन की
बेला आने वाली है;
दिन गर्म और रातें ठंडी
होने लगी है तभी मैं भी
ताकने लग जाता हु तुम्हारी
ओर पूरी की पूरी रात यु ही
दिन की तरह तुम पर झरने को !
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