साफ़ और स्वच्छ प्राण वायु !
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सुनो दादू सुनो नानू
सुनो काकू और मामू
कल जब हम सब आएंगे
आपके बुलावे पर आपके
ही आंगन तो क्या आप हमें
वो साफ़ और स्वच्छ प्राण
वायु दे पाएंगे जो साफ़ और
स्वच्छ प्राण वायु आपको
आपके दादू ने आपके नानू
ने आपके काकू ने और आपके
मामू ने दी थी और आप लोग
अपनी-अपनी अम्मा अपने अपने
अब्बू के अनुरागयुक्त निमंत्रण पर
दौड़े चले आये थे फिर ऐसा क्या हुआ
पिछले कुछ दशकों में की हमें निमंत्रण
मिलने के बाद भी हम आपकी तरह दौड़े
नहीं आ पा रहे है अपनी ही अम्मु और
अपने ही अब्बू के उसी अनुरागयुक्त
निमंत्रण पर बोलो ना दादू बोलो ना
नानू बोलो ना काकू बोलो ना मामू
क्या आप हमें दे पाएंगे वो प्राण वायु
जिसमे हम भी आपकी तरह निष्फिक्र
होकर वही प्राणवायु अपने इस शरीर
को दे पाएंगे और गर आपको है कोई
संशय तो अभी भी वक़्त है संभल जाईये
और लजिए एक शपथ की इस दीपावली
आप इस प्राण वायु को और नहीं करेंगे
प्रदूषित ताकि आपके ही पड़ोस में रहने
वाले वो राजकुमार दादू और राजेश नानू
दिव्यांश काकू और यशवंत मामू भी आपको
देख कर इस प्राण वायु को फिर से वैसी ही
साफ़ और स्वच्छ बनाएंगे तभी फिर हम
आपकी तरह दौड़ कर आपके आंगन की
बगिया में आकर फिर से एक बार चहचहाएंगे !
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