सच कहा था तुमने !
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सच कहा था तुमने
शब्द बोलते है मेरे,
लेकिन क्या पता है
तुम्हे कब बोलते है
वो शब्द मेरे;
सुनो वो बोलते है
जब तुम उन्हें अपने
कंठ लगाती हो;
तुम्हारे कंठ लगकर
शब्द मेरे जैसे मुखर
हो उठते है;
जब तुम उन्हें प्यार
से सहला देती हो तो
सुप्तावस्था से जागृत
हो उठते है वो;
और पाकर तुम्हारा
स्पर्श सारा खुमार
उतर जाता है उनका;
और फिर वो शब्द
मेरे जी उठते है लगकर
कंठ तुम्हारे;
और फिर भावो में
डूबकर तुम्हारे वो
शब्द उत्सुक हो उठते
है अपना जीवन जीने को;
सच कहा था तुमने
शब्द बोलते है मेरे !
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