Friday, 2 November 2018

कोई भी रिश्ता टूटता नहीं !

कोई भी रिश्ता टूटता नहीं ! 
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कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता यंहा 
कोई भी रिश्ता टूटता नहीं यंहा

रिश्ता या तो जीता है यंहा
या फिर रिश्ता मरता है यंहा 

पर कोई भी रिश्ता टूटता नहीं यंहा
चाहे बातें बंद हो जाये यंहा की वंहा की   

चाहे मुलाकातें खत्म हो जाये यंहा
या फिर एक नज़र देखना भी फिर 
गंवारा ना रह जाये एक दूजे को यंहा  

पर रिश्ता हमेशा कंही ना कंही 
अपनी सांसें लेता रहता है यंहा 

उन सांसों की बदौलत ही रिश्ता 
कंही ना कंही बना रहता है यंहा 

जीते जी आमने-सामने रहता है
मरने के बाद मन में कंही ना कंही

या स्मृति में या फिर यादों में कंही 
और कुछ नहीं तो आहों में यंहा 

पर रिश्ता रहता है मौजूद यंहा 
कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता यंहा 
हाँ व्यर्थ नहीं जाता कुछ भी यंहा !

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प्रेम !!

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