Sunday, 25 November 2018

एक नयी कहानी बुन लू !

एक नयी कहानी बुन लू !
•••••••••••••••••••••••••• 
आ आज पास तू मेरे
तुझे कुछ अपनी सुनाऊ
और कुछ तेरी सुन लू; 

सपने जो अधूरे है तेरे 
आ आज उनको फिर से 
अपनी पलकों से चुन लू;

मैं जो लिखता रहता हु 
इतना कुछ सिर्फ तुम पर 
आ आज फिर कोई नयी 
नवेली सी एक धुन चुन लू;

रिमझिम-रिमझिम सी 
इस इस ओस की रुत में
बावरा मेरा मन जो खोजे
आ आज तेरी खुली आँखों 
से एक नया स्वप्न देख लू;

आ आज फिर पास तू मेरे 
की अपने प्रेम की एक नयी 
कहानी मैं बुन लू !   

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !