प्रेम होता है अलौकिक !
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कैसे लौकिक इंसान का
लौकिक प्रेम भी अलौकिक
हो जाता है;
वो सारे सितारे जो इतनी
दूर आसमां की गोद में
टिमटिमाते हुए भी;
गवाह बन जाते है,
उन प्रेमी जोड़ियों
के जो सितारों के
इतने दूरस्थ होने
के बावजूद भी;
उनकी उपस्थिति को
अपने इतनी निकट
स्वीकारते है की;
अपनी हर बात को
एक दूजे के कान में
फुसफुसाते हुए कहते है;
वो सितारे जो आसमां
की गोद में अक्सर ही
टिमटिमाते रहते है;
वो ही इन प्रेमी जोड़ों
के प्रेम के अलौकिक
गवाह बन जाते है;
इस लोक के प्रेम को
अलौकिक प्रेम का दर्जा दिलाने के लिए !
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