Friday, 9 November 2018

आरती के स्वर !

आरती के स्वर !
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क्या रोज ही सुबह 
आरती के स्वर तुमसे
दुरी बना लेते है;

या उन स्वरों से 
तुम बना लेती हो 
अक्सर दूरियां ;

कहते है सुबह की 
आरती जिसमे हम 
भाव भर लेते है;

वो आरती कभी 
खाली हाँथ नहीं 
लौट कर आती;

क्योंकि सुना है 
भगवान् सदैव 
सिर्फ और सिर्फ  
सच्चे भावों के ही 
भूखे होते है;

तो फिर बताओ 
क्यों नहीं होती 
तुम्हारी वो सुबह
की प्रार्थनाएं पूरी;

आज सच-सच 
बता दो तुम मुझे
क्या सच में तुम 
करती हो प्रार्थना;

उन सच्चे भावों से 
जो मैं अक्सर देखता हु 
उमड़ते हुए तुम्हारी इन  
नम आँखों में;

मैंने तो ये भी सुना
है भगवान सरलता 
में ही बसते है;

तो फिर ये बताओ 
तुम मुझे की सच में
हो उतनी ही सरल;

जितनी सहज और 
सरल सी तुम बसती
हो मेरे इन एहसासों में;

गर ये सब सच है 
तो फिर रोज ही सुबह 
आरती के स्वर तुमसे
दुरी क्यों बना लेते है बोलो !

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