Tuesday, 20 November 2018

दर्द इश्क़ और मोहोब्बत !

दर्द इश्क़ और मोहोब्बत !
••••••••••••••••••••••••••

दर्द इश्क़ और मोहोब्बत 
शायद एक ही दिन पैदा 
हुए थे तभी तो तीनो के 
गुण और धर्म एकदम 
मिलते जुलते से है;

इश्क़ दर्द से पीछा छुड़ाने 
जब भी जाता है संकटमोचन
के द्धार तो वो उसे उसके हाथ
सौंप देते है आशीर्वाद के
स्वरुप  एक पता ;

इश्क़ ढूंढता उस पते को 
जब पहुँचता है एक द्धार
तो पाता है वंहा करता पहले
से किसी को उसका इंतज़ार;

इश्क़ जब प्रकट करता है 
उसके सामने वंहा आने का 
अभिप्राय तब वो बताती है 
उसे वंहा अपने आने का अभिप्राय;

दोनों आते है वंहा अपने अपने
दर्द से पाने को छुटकारा दर्द
इश्क़ और मोहोब्बत दोनों से 
दूर हो जाता है उनके अलग 
अलग विश्वास से आज्ञा पाकर !  

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !