दर्द इश्क़ और मोहोब्बत !
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दर्द इश्क़ और मोहोब्बत
शायद एक ही दिन पैदा
हुए थे तभी तो तीनो के
गुण और धर्म एकदम
मिलते जुलते से है;
इश्क़ दर्द से पीछा छुड़ाने
जब भी जाता है संकटमोचन
के द्धार तो वो उसे उसके हाथ
सौंप देते है आशीर्वाद के
स्वरुप एक पता ;
इश्क़ ढूंढता उस पते को
जब पहुँचता है एक द्धार
तो पाता है वंहा करता पहले
से किसी को उसका इंतज़ार;
इश्क़ जब प्रकट करता है
उसके सामने वंहा आने का
अभिप्राय तब वो बताती है
उसे वंहा अपने आने का अभिप्राय;
दोनों आते है वंहा अपने अपने
दर्द से पाने को छुटकारा दर्द
इश्क़ और मोहोब्बत दोनों से
दूर हो जाता है उनके अलग
अलग विश्वास से आज्ञा पाकर !
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