मेरा प्रेम !
नितांत अकेलेपन की
जंजीरों में जकड़ा मेरा
जो अस्तित्व है
तुमसे बंधकर ही सबसे
मुक्त होने की आस पर
जीता है
मेरा हर लम्हा हर घडी
तुम्हारा इंतज़ार करता है
एक सिर्फ तुम्हारा और
चाहता है की तुम समझो
मेरे दिल की हर एक ऊपर
नीचे होती धड़कन को
और इसके अश्रु के ताप को
और मेरे कलेजे में रुकी
उन सिसकिंयों की घुटन को
मेरी नज़रो के सहमेपन को
और आपस में लड़ती मेरी
अँगुलियों के द्वंद को गर
वक़्त मिले तुम्हे कभी तो
इन सबका अर्थ समझना
समझ आ जाएगा तुम्हे
मेरा प्रेम !