तुम्हे रब में विश्वास नहीं !
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जब-जब तुमने पूछा मुझसे
"राम" मैं तुम्हे कैसी लगती हु
तब-तब मैंने यही तुमसे बोला
तुम मेरे रब सी ही दिखती हो
क्योंकि मैंने जब भी तुमको
अपनी प्रेममय आँखों से देखा
तुझमे मैंने उस रब को देखा
जो प्रेम में होते है उन्हें इस
धरा के कण कण में भगवान
बसे दिखाई देते है और जो
प्रेम में नहीं होते उनको इंसानो
में भी कोई सुन्दर और कोई
बदसूरत दिखाई देता है पर
मैंने कभी पूछ कर नहीं देखा
बोलो मैं तुम्हे कैसा लगता हू
चलो आज तुम बतलाओ मुझे
मैं तुम्हे कैसा लगता हु
गर तुम्हारा जवाब है हां मुझे
भी तुझमे एक रब दिखता है
तो ये बतलाओ तुम मुझे की
कोई कैसे खुद को उस रब से
दूर रख सकता है भला क्या तुम्हे
उस रब में विश्वास नहीं बोलो ?