मेरी चाहत
तुम्हे ऐसे चाहने की
जैसे चन्द्रमा चाहता है
बेअंत समंदर को ;
जैसे सूरज की किरण
सीप के दिल को चाहे ;
जैसे खुसबू को हवा
रंग से हटकर चाहती है ;
जैसे कोई कलाकार पत्थर
में देख लेता है अपने
ईश को और उस पत्थर को
तराश कर बना भी लेता है अपना ईश;
जैसे ख्वाबो को चाहते है सपने ;
जैसे बारिश की दुआ मांगते है
छाले से भरे पांव ;
हा है मेरी चाहत
तुम्हे ऐसे चाहने की
तुम्हे ऐसे चाहने की
जैसे चन्द्रमा चाहता है
बेअंत समंदर को ;
जैसे सूरज की किरण
सीप के दिल को चाहे ;
जैसे खुसबू को हवा
रंग से हटकर चाहती है ;
जैसे कोई कलाकार पत्थर
में देख लेता है अपने
ईश को और उस पत्थर को
तराश कर बना भी लेता है अपना ईश;
जैसे ख्वाबो को चाहते है सपने ;
जैसे बारिश की दुआ मांगते है
छाले से भरे पांव ;
हा है मेरी चाहत
तुम्हे ऐसे चाहने की
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