मैंने कहा तुम जब
बीच में मांग निकाल कर
अपने बालों को बनाती हो
तो बेहद प्यारी लगती हो ,
उसने कहा मुझे साइड
में मांग निकालना पसंद है,
मैंने कहा तुम जब अपनी
मांग को सिन्दूर से भर
कर रखती हो तो बहुत
खूबसूरत लगती हो ,
उसने कहा सिन्दूर लगा
कर रखना मुझे पसंद नहीं ,
मैंने कहा मेरी ख्वाहिश है
तुम्हे हष्ट पुष्ट देखना
उसने कहा मुझे पतली
दुबली रहना ही पसंद है ,
मैंने कहा मुझे हर दिन
तुम्हारा सामीप्य चाहिए
उसने कहा कभी कभी चाहिए,
प्रेम की परिभाषा में
अद्वैत का अर्थ
शायद समझ नहीं आया
उसे अब तक
बीच में मांग निकाल कर
अपने बालों को बनाती हो
तो बेहद प्यारी लगती हो ,
उसने कहा मुझे साइड
में मांग निकालना पसंद है,
मैंने कहा तुम जब अपनी
मांग को सिन्दूर से भर
कर रखती हो तो बहुत
खूबसूरत लगती हो ,
उसने कहा सिन्दूर लगा
कर रखना मुझे पसंद नहीं ,
मैंने कहा मेरी ख्वाहिश है
तुम्हे हष्ट पुष्ट देखना
उसने कहा मुझे पतली
दुबली रहना ही पसंद है ,
मैंने कहा मुझे हर दिन
तुम्हारा सामीप्य चाहिए
उसने कहा कभी कभी चाहिए,
प्रेम की परिभाषा में
अद्वैत का अर्थ
शायद समझ नहीं आया
उसे अब तक
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