आज से हज़ारों साल
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा
तुमसे यु ही जैसे फूल
जुड़ा है अपनी खुसबू से
आने वाले हर जन्म भी
मैं ऐसे ही रहूँगा साथ
तुम्हारे जैसे पेड़ जुड़ा
रहता है अपनी जड़ से
मैं यु ही जगाये रखूँगा
अपनी प्यास तुम्हारे
प्रेम की जैसे कोई पथिक
रेगिस्तान में भटक खोजता
है बेतहाशा पानी को
मैं यु रहूँगा तुम्हे ताकते
अपलक जैसे कोई अबोध
बच्चा ताकता रहता है
माँ को उसकी गोद से
हाँ आज से हज़ारों साल
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा तुमसे
यु ही जैसे जुड़ा हु आज
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा
तुमसे यु ही जैसे फूल
जुड़ा है अपनी खुसबू से
आने वाले हर जन्म भी
मैं ऐसे ही रहूँगा साथ
तुम्हारे जैसे पेड़ जुड़ा
रहता है अपनी जड़ से
मैं यु ही जगाये रखूँगा
अपनी प्यास तुम्हारे
प्रेम की जैसे कोई पथिक
रेगिस्तान में भटक खोजता
है बेतहाशा पानी को
मैं यु रहूँगा तुम्हे ताकते
अपलक जैसे कोई अबोध
बच्चा ताकता रहता है
माँ को उसकी गोद से
हाँ आज से हज़ारों साल
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा तुमसे
यु ही जैसे जुड़ा हु आज
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