Thursday, 18 January 2018

तुम्हारे पास आ जाऊं

तुम तो अक्सर
कहती थी ना 
दिल करता है 
सब कुछ छोड़कर
सारे रिश्ते नाते 
तोड़कर कर तुम्हारे  
पास आ जाऊं और
फिर तुम्हारे बगैर एक 
पल को भी ना रहु
मेरे बिना तुम्हे यु 
जीना - जीना नहीं 
लगता एक सजा 
लगती है और कौन
चाहता है ज़िन्दगी 
को सजा के रूप में जीना
तुम वो ही हो ना
जो ये सब कहते नहीं 
थकती थी फिर आज 
क्या हुआ जब 
मैंने सारे रिश्ते नाते 
तोड़कर अकेले तुम्हारे
इंतज़ार में ज़िन्दगी को 
जीने की आस में 
अकेल बैठा हु

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !