Tuesday, 30 January 2018

मेरा स्पर्श


जैसा महसूस होता है
तुम्हे मेरा स्पर्श पाकर 
वैसा ही अनुभव कराना 
चाहता हु मैं तुम्हे मेरी 
कविताओं से की जब 
तुम पढ़ो मेरी कविता
तुम्हे महसूस हो की 
तुमने अभी अभी किया है
मुझे स्पर्श और मैं उन 
अपने एहसास को उतार 
सकू तुम्हारे हृदय के अंदर 
बोलो और किस-किस तरह
मैं समझू तुम्हारी मज़बूरिया 
की तुम भी खुश रहो मुझसे दूर
और मुझे भी एहसास ना हो 
तुम्हारी कमी और तुम्हारी 
उन मज़बूरिओं को समझने में
मुझे उनमे से दम्भ की बू भी ना आये
कहो और कैसे कैसे अभिव्यक्त
करू मेरी अभिव्यक्ति की तुम्हे
मेरा स्पर्श महसूस हो 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !