जैसा महसूस होता है
तुम्हे मेरा स्पर्श पाकर
वैसा ही अनुभव कराना
चाहता हु मैं तुम्हे मेरी
कविताओं से की जब
तुम पढ़ो मेरी कविता
तुम्हे महसूस हो की
तुमने अभी अभी किया है
मुझे स्पर्श और मैं उन
अपने एहसास को उतार
सकू तुम्हारे हृदय के अंदर
बोलो और किस-किस तरह
मैं समझू तुम्हारी मज़बूरिया
की तुम भी खुश रहो मुझसे दूर
और मुझे भी एहसास ना हो
तुम्हारी कमी और तुम्हारी
उन मज़बूरिओं को समझने में
मुझे उनमे से दम्भ की बू भी ना आये
कहो और कैसे कैसे अभिव्यक्त
करू मेरी अभिव्यक्ति की तुम्हे
मेरा स्पर्श महसूस हो
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