Saturday, 20 January 2018

बेइंतेहा मोहोब्बत

तेरे हर एक जज्बात से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है  
तेरे हर एक एहसास से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
तेरी हर एक याद से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
जब जब किया है तुमने याद
मैंने हर उस एक लम्हे से
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
जिसमे हो सिर्फ एक तेरी
और एक मेरी बात  
उस "औकात" से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
तेरे हर इंतज़ार से भी मैंने
उतनी ही सिद्दत से मोहोब्बत की है
तू मेरी है सिर्फ मेरी 
मैंने इस भरोसे से भी 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !