गेहू और गेहू से
बनता उसका आटा
आटे से उसकी लोई
और लोई से रोटी
एक पूरी प्रक्रिया से
गुजर कर गेहू रोटी
की शक्ल अख्तियार
करता है और इस पूरी
प्रक्रिया में बनाने वाले
इंसान की मेहनत के
साथ जब भावना जुड़ती है
तो उस से खाने वाले का
पेट ही नहीं भरता बल्कि
उसका मन भी तृप्त होता है
ठीक इसी प्रकार प्रेम में
देखे गए सपनो को भी पूरी
प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है
थोड़ी सी असावधानी जिस
प्रकार रोटी को जला देती है
वैसे ही थोड़ी सी असावधानी
उन सपनो को चूर-चूर कर देती है
बनता उसका आटा
आटे से उसकी लोई
और लोई से रोटी
एक पूरी प्रक्रिया से
गुजर कर गेहू रोटी
की शक्ल अख्तियार
करता है और इस पूरी
प्रक्रिया में बनाने वाले
इंसान की मेहनत के
साथ जब भावना जुड़ती है
तो उस से खाने वाले का
पेट ही नहीं भरता बल्कि
उसका मन भी तृप्त होता है
ठीक इसी प्रकार प्रेम में
देखे गए सपनो को भी पूरी
प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है
थोड़ी सी असावधानी जिस
प्रकार रोटी को जला देती है
वैसे ही थोड़ी सी असावधानी
उन सपनो को चूर-चूर कर देती है
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