Friday, 19 January 2018

स्त्री बाँझ नहीं होती

स्त्री 
कभी बाँझ नहीं होती 
स्त्री जननी होती है  
संसार का चक्र टिका है 
जिस बीज पर वो 
उस बीज की जननी होती है
स्त्री तो सिर्फ प्रेम की प्यासी 
होती है हर ठोस को तरल
में प्रवर्तित करने वाली 
स्त्री कोमलता की परिचायक 
होती है वो तो मेनका उर्वशी
और रम्भा की जननी होती है 
स्त्री कभी बाँझ नहीं होती 
वो तो राम इंद्रा और कामदेव 
की जननी होती है

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !