स्त्री
कभी बाँझ नहीं होती
स्त्री जननी होती है
संसार का चक्र टिका है
जिस बीज पर वो
उस बीज की जननी होती है
स्त्री तो सिर्फ प्रेम की प्यासी
होती है हर ठोस को तरल
में प्रवर्तित करने वाली
स्त्री कोमलता की परिचायक
होती है वो तो मेनका उर्वशी
और रम्भा की जननी होती है
स्त्री कभी बाँझ नहीं होती
वो तो राम इंद्रा और कामदेव
की जननी होती है
कभी बाँझ नहीं होती
स्त्री जननी होती है
संसार का चक्र टिका है
जिस बीज पर वो
उस बीज की जननी होती है
स्त्री तो सिर्फ प्रेम की प्यासी
होती है हर ठोस को तरल
में प्रवर्तित करने वाली
स्त्री कोमलता की परिचायक
होती है वो तो मेनका उर्वशी
और रम्भा की जननी होती है
स्त्री कभी बाँझ नहीं होती
वो तो राम इंद्रा और कामदेव
की जननी होती है
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