प्रेम और युद्ध में
सबकुछ जायज़ है ;
ऐसा कई जगह
लिखा पढ़ा भी है
और कई वाकिये
का मैं गवाह भी हु;
हां युद्ध में सब कुछ
जायज़ है और इंसान
नाज़ायज़ करते हुए
देखे भी जा सकते है ;
लेकिन मुझे आज
तक कोई ऐसा इंसान
नहीं मिला जो प्रेम
में होकर कुछ भी
नाज़ायज़ करने को
आतुर हुआ हो अपने
प्रेम को पाने के लिए;
तब समझ आया ये
किसी युद्धोन्मुख इंसान
ने अपने युद्ध को जायज़
ठहराने के लिए सब्द प्रेम
का इस्तेमाल ही किया होगा ;
युद्ध में सब कुछ जायज़ है
पर प्रेम में सिर्फ जायज़ ही
जायज़ था है और होगा भी;
सबकुछ जायज़ है ;
ऐसा कई जगह
लिखा पढ़ा भी है
और कई वाकिये
का मैं गवाह भी हु;
हां युद्ध में सब कुछ
जायज़ है और इंसान
नाज़ायज़ करते हुए
देखे भी जा सकते है ;
लेकिन मुझे आज
तक कोई ऐसा इंसान
नहीं मिला जो प्रेम
में होकर कुछ भी
नाज़ायज़ करने को
आतुर हुआ हो अपने
प्रेम को पाने के लिए;
तब समझ आया ये
किसी युद्धोन्मुख इंसान
ने अपने युद्ध को जायज़
ठहराने के लिए सब्द प्रेम
का इस्तेमाल ही किया होगा ;
युद्ध में सब कुछ जायज़ है
पर प्रेम में सिर्फ जायज़ ही
जायज़ था है और होगा भी;
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