यु तो कई अनुभव होते है
इंसान को उसकी ज़िन्दगी में
पर प्रेम का अनुभव सैदेव मायने रखता है
जब इंसान को प्रेम हो जाता है एक बार
वो प्रेम कभी भी आपकी उसकी रूह से अलग
नहीं हो सकता जिस प्रकार ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ
कृति है मानव और मानव के शरीर की संरचना
उस संरचना में आँखें दो,कान दो, हाथ दो,
पैर दो, स्तन दो, श्वसन छिद्र दो, अंडकोष दो,
बनाये गए है ये दो की संख्या वैकल्पिक होती है
परन्तु जो एक है उसका कोई विकल्प नहीं होता
मस्तिष्क एक, दिल एक,लिंग एक, कोख एक
उसी प्रकार सच्चा प्रेम भी एक ही होता है और वो
सच्चा प्रेम कितना भी दर्द दे परन्तु आप उससे
खुद को कभी अलग नहीं कर सकते क्योकि वो
वैकल्पिक नहीं और जो वैकल्पिक नहीं उसके
बिना आपके जीवन की कल्पना संभव नहीं
इंसान को उसकी ज़िन्दगी में
पर प्रेम का अनुभव सैदेव मायने रखता है
जब इंसान को प्रेम हो जाता है एक बार
वो प्रेम कभी भी आपकी उसकी रूह से अलग
नहीं हो सकता जिस प्रकार ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ
कृति है मानव और मानव के शरीर की संरचना
उस संरचना में आँखें दो,कान दो, हाथ दो,
पैर दो, स्तन दो, श्वसन छिद्र दो, अंडकोष दो,
बनाये गए है ये दो की संख्या वैकल्पिक होती है
परन्तु जो एक है उसका कोई विकल्प नहीं होता
मस्तिष्क एक, दिल एक,लिंग एक, कोख एक
उसी प्रकार सच्चा प्रेम भी एक ही होता है और वो
सच्चा प्रेम कितना भी दर्द दे परन्तु आप उससे
खुद को कभी अलग नहीं कर सकते क्योकि वो
वैकल्पिक नहीं और जो वैकल्पिक नहीं उसके
बिना आपके जीवन की कल्पना संभव नहीं
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