Thursday, 11 January 2018

प्रेम का अनुभव

यु तो कई अनुभव होते है 
इंसान को उसकी ज़िन्दगी में 
पर प्रेम का अनुभव सैदेव मायने रखता है 
जब इंसान को प्रेम हो जाता है एक बार 
वो प्रेम कभी भी आपकी उसकी रूह से अलग
नहीं हो सकता जिस प्रकार ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ 
कृति है मानव और मानव के शरीर की संरचना 
उस संरचना में आँखें दो,कान दो, हाथ दो, 
पैर दो, स्तन दो, श्वसन छिद्र दो, अंडकोष दो, 
बनाये गए है ये दो की संख्या वैकल्पिक होती है
परन्तु जो एक है उसका कोई विकल्प नहीं होता 
मस्तिष्क एक, दिल एक,लिंग एक, कोख एक     
उसी प्रकार सच्चा प्रेम भी एक ही होता है और वो 
सच्चा प्रेम कितना भी दर्द दे परन्तु आप उससे 
खुद को कभी अलग नहीं कर सकते क्योकि वो 
वैकल्पिक नहीं और जो वैकल्पिक नहीं उसके  
बिना आपके जीवन की कल्पना संभव नहीं 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !