Sunday, 21 January 2018

प्रेम की कोख हरी हो जाती है


प्रेम चाहे जिस उम्र में हो 
वो उम्र चाहे बचपन की हो
या हो यौवन की अवस्था
या फिर हो पौढावस्था
लेकिन जब भी होता है
इक्षाएं ,कामनाएं
स्वप्न और ख्वाहिशें
स्वतः ही उसके प्रेम की
कोख में अवतरित हो
उस इंसान को आशावादी
बना देता है प्रेम में
होने के पहले चाहे
उस इंसान का स्वभाव
निराशावादी रहा हो
पर जब उसे भी प्रेम होता है
तब उसके भी प्रेम की
कोख हरी हो जाती है
और वो ये मानने
लग जाता है की
उसका प्रेम उसे अब
अपूर्ण नहीं रहने देगा 

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !