जैसे अन्धकार में
एक दीपक की लौ
और उसके वृत्त में
खड़ा दास की मुद्रा
में उसका साया
वैसे ही तुम्हारी
गोल गोल बाँहों
के दायरे में
सिमटा मेरा वज़ूद
दुनिया में सबसे
खुशहाल जीवन मेरा
अक्सर सोचा करता हूँ
इतना ही क्यों नहीं
हो जाता है मेरे उम्र
का घेरा बस जिस तरह
दीपक की लौ बुझते ही
उसके साये की सांसें
भी थम जाती है
वैसे ही तेरी गोलाकार
बाँहों के दायरे से बहार
मेरी भी सांसें थम जाए
एक दीपक की लौ
और उसके वृत्त में
खड़ा दास की मुद्रा
में उसका साया
वैसे ही तुम्हारी
गोल गोल बाँहों
के दायरे में
सिमटा मेरा वज़ूद
दुनिया में सबसे
खुशहाल जीवन मेरा
अक्सर सोचा करता हूँ
इतना ही क्यों नहीं
हो जाता है मेरे उम्र
का घेरा बस जिस तरह
दीपक की लौ बुझते ही
उसके साये की सांसें
भी थम जाती है
वैसे ही तेरी गोलाकार
बाँहों के दायरे से बहार
मेरी भी सांसें थम जाए
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