Thursday 14 December 2017

ज़िन्दगी की "साँस"

वो "साँस" है 
ज़िन्दगी की 
अपनी ही गति 
से बहती हुई ;
मेरे दर्द से बेखबर
मेरी छुवन से बेअसर
मगर मुझे जिन्दा रखे हुए;
उसकी शीतल छुवन
हर तपन से आज़ाद
करती है मुझे सदा;
उसकी खामोश 
उपस्थिति सदा ही 
करती है बातों से 
तर्क वितर्क ;
वो "साँस" है 
ज़िन्दगी की 
अपनी ही गति 
से बहती हुई ; 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !