Saturday 23 December 2017

ज़ज़्बात संभाले नहीं जाते

प्रेम है 
प्यार है 
दुलार है 
और इन सब की 
अनुभूति भी है 
मेरे अंदर लेकिन 
इसका भान तो 
मुझे तब होता है 
जब तुम नज़दीक 
होती हो मेरे 
और सच कहु तो 
आज भी विवस ही 
पाता हु खुद को
क्योंकि जब तुम 
पास होती हो मेरे  
तब ज़ज़्बात मेरे
मुझसे ही संभाले
नहीं जाते 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !